मुजफ्फरनगर, जेएनएन। भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेंद्र प्रसाद की यादें मुजफ्फरनगर की धरती से भी जुड़ी हुई हैं। बेतुके बयान और आरोप-प्रत्यारोप की मौजूदा राजनीति में उनकी विद्वता, विनम्रता, सादगी बरबस याद आती है। आम आदमी से मिलने की आत्मीयता से जुड़े संस्मरण आज भी नहीं भुलाए भूलते हैं। शिक्षाऋषि स्वामी कल्याण देव महाराज के आग्रह पर राजेंद्र बाबू ने मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफार्म की जनसभा की थी, जहां पर वे शुकतीर्थ का प्रसाद पाकर गदगद हो गए थे।
शुकदेव पीठ के पीठाधीश्वर स्वामी ओमानंद महाराज बताते हैं कि वर्ष 1952 में हरिद्वार जाते समय राजेंद्र प्रसाद की स्पेशल ट्रेन मुजफ्फरनगर रेलवे स्टेशन के प्लेट फार्म नंबर दो पर रुकी। रेलवे स्टेशन को कागज की बंदर वार से सजाया गया था। स्वामी कल्याण देवजी महाराज के आह्वान पर हजारों लोग स्टेशन पर पहुंचे गए थे। जिले के अधिवक्ता जगत प्रकाश, लाला जयप्रकाश व लाला इंद्र प्रकाश ने तत्कालीन महामहिम की अगुवाई की थी। शिक्षा ऋषि कल्याण देव से शुकतीर्थ का प्रसाद पाकर वे गदगद हो गए थे। प्लेटफार्म पर बने मंच पर संबोधित करते हुए राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने जिले की जनता, किसान और मजूदरों को खेती से आत्म निर्भर बनने आह्वान किया था। उन्होंने लोगों को देश भक्ति, ईमानदारी, व ग्रामोत्थान की प्रेरणा भी दी थी।